साईबाबा की उनके शिष्यों के लिये11 शिक्षाऍं थी, जैसे किः
जो कोई शिरडी की जमीं पर पग रखेगा, उसके सारे कष्ट मिट जायेंगे। मेरी समाधी की सीढियॉं चढते-चढते ही उनके दुख-दारिद्र्य नष्ट होकर उनका परिवर्तन आनंद और सुख में होगा। इस अशाश्वत देह के त्याग पर भी मै हमेशा कार्यरत और शक्तिवान रहता हूं। मेरे भक्तों की आवाज के लिये मेरे आशिर्वाद और जरूरतों के लिये मेरी उपस्थिति हमेशा मौजूद होती है। मै समाधी में रहते हुए भी कार्यरत औऱ जरूरतों के लिये शक्तिवान रहता हूं। मेरी समाधी में से भी मेरे मर्त्य अवशेष तुमसे बात करेंगे। जो मेरे पास आता है, मुझमें शरण आता है और जो मुझ में मुक्ति खोजता है, उसके लिये मै सदा ही तत्पर होता हूं। यदि आप मेरी ओर देखेंगे मै भी आपकी ओर देखूंगा। आप अपना बोझ मुझपर छोडिये, मै उसे झेल लूंगा। आप मुझमें सलाह और मदद की अपेक्षा करों मै तुरन्तही उसे आपको प्रदान कर दूंगा। मेरे भक्तों के घरमें कोनसी भी कमी महसूस न रहेगी।
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रेल्वे स्टेशने
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Shirdi is about 285 kms and 6 hours' drive from Mumbai(Bombay). It is accessible by rail upto Nashik and Manmad and Until 1918, Shirdi was a sleepy little village,
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